शिवपुराण में बताया गया है कि भगवान सदाशिव और पराशक्ति अंबिका से ही भगवान शिव की उत्पत्ति हुई है।
पुराणों के अनुसार काशी में भगवान शिव का जन्म हुआ था। इसे शिवलोक भी कहा जाता है।
भगवान शिव को यूं तो अनेक नामों से पुकारा जाता है, लेकिन उनका एक नाम त्रिपुरारी भी है।
भगवान शिव ने इस पृथ्वी पर जीवन के प्रचार-प्रसार का प्रयास किया इसलिये उन्हें आदिदेव नाम से भी जाना जाता है।
वासुकि को शेषनाग के बाद नागों का दूसरा राजा माना जाता है। भगवान शिव उन्हें अपने गले में लिपटने का वरदान दिया था।
पुराणों में वर्णन है कि टूटे शिवलिंग की पूजा करने से भी कृपा प्राप्त होती है।