पंचांग की गणना के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर महाशिवरात्रि का महाव्रत आता है।
पौराणिक मान्यता देखें तो साल की 12 शिवरात्रि में से 11 शिवरात्रि सामान्य तथा 12वीं महाशिवरात्रि मानी जाती है।
फाल्गुन मास में शिव की रात्रि का आना पौराणिक तथा शास्त्रीय दृष्टिकोण से भी अलग महत्व रखता है।
इस बार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि उपरांत चतुर्दशी तिथि पर महाशिवरात्रि का संयोग बन रहा है।
18 फरवरी 2023 शनिवार को उत्तराषाढ़ा नक्षत्र उपरांत श्रवण नक्षत्र व्यतिपात योग उपरांत वरयान योग गर करण उपरांत शकुनी व नाग करण तथा मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में शिवरात्रि का महापर्व रहेगा।
महाशिवरात्रि सूर्य, शनि, मंगल के केंद्र त्रिकोण योग में मनाई जाएगी। महारात्रि पर ऐस संयोग तीन शताब्दी में एक या दो बार बनता है। इस दिन शिव आराधना फलदायी है।
ग्रह गोचर की गणना के अनुसार देखें तो महा शिवरात्रि महापर्व काल पर कुंभ राशि में सूर्य शनि की युति रहेगी। वहीं वृषभ राशि के मंगल का गोचर रहेगा।
ज्योतिष शास्त्र की गणना से देखें तो स्थिर लग्न (सिंह) में सूर्य शनि की कुंभ राशि में युति रहेगी। वहीं दशम स्थान पर मंगल का केंद्र त्रिकोण योग बनेगा।
इस प्रकार के केंद्र त्रिकोण योग तथा गोचर में गुरु शुक्र का मीन राशि पर अवस्थित होना यह बड़े दुर्लभ संयोग होते हैं। इसमें की गई पूजन विशिष्ट मनोरथ को पूरा करती है।