महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए हर साल लाखों से ज्यादा की संख्या में भक्त आते है। आज हम आपको बताएंगे महाकालेश्वर और काल भैरव मंदिर के रहस्यों के बारे में।
महाकालेश्वर मंदिर और काल भैरव मंदिर को लेकर कई तरह की भ्रांतियां है। कुछ लोगों का यह भी लगता हैं कि मेन मंदिर में भगवान को शराब पिलाई जाती है। आइए जानते हैं भ्रांति और सच्चाई के बारे में।
काल भैरो मंदिर भारत का ही नहीं बल्कि दुनिया का पहला ऐसा मंदिर हैं जहां भगवान को शराब पिलाई जाती है। दुनिया में जहां मंदिर के आसपास से शराब की दुकानें हटाई जाती हैं। वहीं इस परिसर में लगवाई जाती है।
महाकाल में भस्म आरती होती है और कहा जाता है कि पहले यहां जलती हुई चिता की राख लाकर पूजा होती थी। इसलिए ऐसी मान्यता थी कि, इसका संबंध मृत्यु से है।
काल का संबंध मृत्यु से होता है। कथाओं के मुताबिक, महाकाल का शिवलिंग तब प्रकट हुआ जब एक राक्षस का वध होना था। ऐसे में भगवान उस राक्षस के लिए काल बनकर आएं थे। इसलिए भी इन्हें महाकाल कहा जाने लगा।
लोककथा के अनुसार, महाकाल ही इस शहर के राजा है। उनके अलावा यहां कोई राजा या मंत्री नहीं रह सकता है। ऐसा न मानने पर उन्हें परिणाम भी भुगतने पड़ सकते है।
भाजपा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर से ताल्लुक रखते है। आज तक वह भी उज्जैन में कभी भी रात नहीं रुके है। इसके अलाना मोरारजी देसाई जब दर्शन के बाद शहर में रात भर रुके थे तो उन्हें भी महज कुछ दिनों में इस्तीफा देना पड़ा था।
शिवपुराण के मुताबिक कपिला गाय के गोबर के कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बेर के पेड़ की लड़कियां, बरगद के पेड़ की जड़ और अमलतास के साथ जलाया जाता हैं और भस्म आरती की राख तैयार की जाती। स्टोरी में लिखी बातें मान्याताओं पर आधारित हैं।