अगर कुंडली में मंगल पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में हो तो मंगलदोष बनता है। कुंडली में चंद्रा मांगलिक हो तो दोहरा दोष होता है।
28 वर्ष की आयु के बाद मंगल दोष का प्रभाव कम हो जाता है, लेकिन समाप्त नहीं होता है। इसलिए मंगल दोष को दूर करना जरूरी है।
पीपल, कुम्भ और शालिग्राम विवाह मंगल दोष के प्रभाव के अनुसार करना चाहिए। मंगल यंत्र की पूजा करने से मंगल दोष शांत होता है।
मंगल दोष से मुक्ति के लिए 21 मंगलवार तक हनुमान जी को बूंदी के लड्डू, लौंग और इलायची चढ़ाएं। वहीं प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करें।
मंगलवार के दिन मंगल ग्रह के बीज मंत्र ऊँ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः का जाप करें।