ज्योतिष शास्त्र में जीवन से जुड़ी कई बातों के बारे में बताया जाता है। इतना ही नहीं, दांपत्य जीवन में चल रहे कलह के पीछे भी ज्योतिष की कुछ बाते होती हैं।
अगर लड़के या लड़की की पत्री में सप्तम भाव में शनि होता है या फिर गोचर कर रहा है। ऐसे में कलह होने की संभावना बन जाती है।
अगर आपकी पत्री पर किसी पाप ग्रह की सप्तम या अष्टम भाव पर दृष्टि है या फिर राहु, केतु अथवा सूर्य की वहां मौजूदगी है तो घर में कलह हो सकती है।
शनि की साढ़े साती चाल की वजह से भी पति-पत्नी के रिश्तों में तनाव पैदा हो सकता है। इसलिए शनि ग्रह की इस दिशा को मुश्किलें पैदा करने वाली माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, अगर आपके घर में ब्रह्म स्थान यानी घर का मध्य भाग खुला नहीं है और इसकी ऊंचाई भी कम है। इसकी वजह से भी पति-पत्नी के रिश्तों में खटास पैदा हो सकती है।
वास्तु में कहा गया है कि गर्भवती महिला का दक्षिण-पूर्व दिशा में सोना अच्छा नहीं माना जाता है। इसकी वजह से दाम्पत्य जीवन में कलह भी हो सकती है।
घर में बाहर से आने वाले लोगों की नजर सीधे आपके बेड पर नहीं पड़नी चाहिए। अगर ऐसा होता है तो दाम्पत्य जीवन में कलह होने की संभावना बढ़ जाती है।
नवविवाहित पति-पत्नी के कमरे में दर्पण का होना सही नहीं माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दंपत्ति का जिस हिस्सा दर्पण में दिखता है वह पीड़ित भी हो सकता है।