प्रभु यीशु का जन्म रात 12 बजे हुआ। वैसे ही खुशियां मनाना शुरू कर दिया गया। साथ ही केरोल भी गाए गए।
रात 12 बजे प्रभु यीशु का जन्म होने पर विशेष प्रार्थना सभा हुई और प्रभु यीशु की जन्म की परंपरागत रूप से खुशियां मनाईं गईं।
चर्चों में रात को उत्सव जैसा माहौल था। और एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई दी। जन्म पर मिस्सा बलिदान अर्पित किया गया।
फालका बाजार में कार्मल कांवेंट स्कूल के परिसर में स्थित चर्च में रात 11 बजे से प्रभु यीशु के कार्यक्रम की शुरुआत हुई। प्रभु का जन्म गौशाला में हुआ।
डा जोसफ थायकाटि्टल, फादर जोसफ चिप्सन व फादर डेविड ने प्रभु यीशु के जन्म पर उनके चरण धौये और प्रार्थना की।
मान्यता है कि प्रभु यीशु का जन्म गौशाला में हुआ था। इसलिये चर्चों प्रतीकात्मक गौशालाओं का निर्माण किया गया है। जहां प्रभु यीशु के दर्शन हुए।