प्रकृति और अध्यात्म का संगम है 'चरण-तीरथ'। मान्यता है कि मैकल पर्वत श्रेणियों के बीच प्रकृति के गोद में बसे वनांचल क्षेत्र में वनवास के दौरान श्रीराम पहुंचे थे।
छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश की सीमा पर चरण-तीरथ स्थित है। कवर्धा से 70 किलोमीटर दूर है बोड़ला विकासखंड स्थित ग्राम तरेगांव से पहुंचा जा सकता है। कबीरधाम जिला मुख्यालय से 63 किमी दूर स्थित है।
स्थानीय मान्यता है कि दक्षिण कोसल में ननिहाल होने के कारण भागवान राम यहां आया करते थे। यहां एक चट्टान में मौजूद पद चिह्न श्रीराम के बताए जाते हैं।
चरण-तीरथ का दर्शन करने के लिए 355 सीढ़ी चढ़नी पड़ता है। जैसे ही ऊपर पहुंचते हैं, सर्वप्रथम भरतकुण्ड के दर्शन होते हैं। इस प्राकृतिक जल में मां नर्मदा के जल की झलक मिलती है।
यहां बनी गुफा भी लोगों को आकर्षित करती है। ठंड के मौसम में जिलेवासी यहां पिकनिक मनाने व गुफा देखने के लिए बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
आदिवासी बैगा जनजाति को सुरंग (गुफा) से जल का स्रोत बहता मिला। पद चिन्ह देखा गया, तब से लोगों द्वारा धार्मिक मान्यता अनुसार मां नर्मदा के रूप में पूजा की जाती है।
इस स्थल को कब से चरण-तीरथ कहा जा रहा है और श्रीराम के चरण चिन्ह यहां पर कब से हैं, यह एक रहस्य है।
गुफा के निकट बाघमाड़ा है। यहां चढ़कर देखने पर लगता है कि प्रकृति ने एक विशाल कटोरे का निर्माण कर दिया है।