पेपर तसल्ली से पढ़ें और सबसे पहले आसान सवालों के जवाब लिखना प्रारंभ करें। ऐसा करने से आपके भीतर आत्मविश्वास बढ़े।
अभिभावक ही बेहतर तरीके से बच्चों को समझा सकते हैं। उनसे बात करें और सामान्य चर्चा प्रतिदिन करने की आदत डालें।
परीक्षा का तनाव कम करने के लिए जरूरी है कि हर दिन आधे घंटे बच्चे के साथ बैठे और बात करें। लगातार बच्चों को पढ़ाई में न लगाएं।
बच्चों को कुछ वक्त के अंतराल में रिलेक्स करने दें। ये ध्यान रखें कि पढ़ाई के साथ नींद भी जरूरी है। छह-सात घंटे की नींद आवश्यक है।
तनाव मन पर हावी न होने दें। पढ़ाई के अलावा अपनी दिनचर्या में खेलकूद, योग और व्यायाम को शामिल करें। नियमित टहलने से मन और सेहत बेहतर होगी।
सालभर जो पढ़ा है उसके हिसाब से बोर्ड का ब्लूप्रिंट जांच करें। समझें कि कौन-कौन से विषय में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं। उसी को ताकत बनाकर अपनी तैयारी करें।
कम अंक के सवालों को पहले करेंगे तो परीक्षा के वक्त आत्मविश्वास भी बढेंगा और पेपर अच्छा जाने की संभावना ज्यादा होगी।
जो याद है वही कापी में लिखें। लिखने की क्षमता का विकास होगा वहीं लिखा हुआ याद भी होगा। कोरोना के बाद से राइटिंग स्किल में कमी आई है।
80 प्रतिशत ही प्रश्न किया है तो कमी न देखकर बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित करेंं। सराहें ताकि उसका मनोबल बढ़े।
प्रतिशत को लेकर चिंता न करें। परीक्षा का सामना बेहतर तैयारी के साथ करें। दूसरे बच्चों की तुलना भी न करें।
छोटे प्रश्नों का पहले जवाब लिखें उसके बाद बड़े प्रश्नों की ओर बढ़ें। कापी के निचले हिस्से की दो-तीन लाइन जब बाकी हो तो उसमें नए प्रश्न का जवाब न लिखें।
कापी का मूल्यांकन करते वक्त प्रश्न नीचे से शुरू होने की वजह से नहीं दिखाई देता है। निर्धारित शब्द सीमा में पाइंट बनाकर साफ सुधरे तरीके से जवाब लिखें।