पीपल के पेड़ की पूजा करने से शनि दोष, शनि साढ़े साती और ढैय्या से छुटकारा मिल जाता है। साथ ही पितरों का आशीर्वाद मिलता है। शास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा दिन के एक समय नहीं करनी चाहिए।
पीपल की जड़ में भगवान विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में भगवान हरि और फलों में सभी देवी देवता निवास करते हैं। इसलिए पीपल का वृक्ष भगवान विष्णु स्वरूप है।
जो व्यक्ति वृक्ष की पूजा और सेवा करता है। उसे सभी तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है और पितरों का तीर्थों में निवास होता है।
शास्त्रों के अनुसार, पीपल के पेड़ की पूजा सूर्योदय से पहले बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि सूर्योदय से पहले पीपल के पेड़ में अलक्ष्मी वास करती हैं। अलक्ष्मी को दरिद्रता की देवी माना जाता है।
ऐसे में अलक्ष्मी की पूजा करने से घर में दरिद्रता का वास हो जाएगा। जिसके कारण हमेशा गरीबी व जीवन में परेशानी आती रहेगी। सूर्योदय से पहले न तो पीपल की पूजा करें और न ही इस पेड़ के पास जाएं।