15 दिन चलने वाले पितृपक्ष में पितरों की पूजा और श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं पितृ पक्ष के दौरान आपको किन नियमों का पालन करना चाहिए।
पितरों की खुशी के लिए दान, पंचबलि कर्म, ब्राह्मण भोज समेत कई अन्य चीजें की जाती है। पितरों को जल, भोजन, अन्न, आदि का दान करने से वे प्रसन्न होते है।
पितृ परिवारजनों की श्रद्धा देखकर बेहद प्रसन्न होते है और मनचाहा आशीर्वाद मिलता है। पितृ पक्ष की अवधि में तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध कर्म किया जाता हैं।
भारतीय संस्कृति में जीवित रहते हुए घर के बड़े-बुजुर्गों को सम्मान करते है और मृत्यु पूर्व उनका श्राद्ध कर्म करते है। इसके पीछे मान्यता हैं कि ऐसा करने से पितरों की आत्मा नहीं भटकती है।
शास्त्रों और पौराणिक ग्रंथों में पूर्वजों की पूजा का विशेष महत्व बताया गया है। देव पूजा से पहले जातक को अपने पितरों की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से देवता भी प्रसन्न होते है।
पितरो की खुशी के लिए कौआ, चींटी, गाय, कुत्ता आदि को भोजन दें। उनको मारने के बजाय, उन्हें भोजन कराने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है।
पितृ पक्ष के दौरान खुद के लिए कोई भी नई वस्तु को नहीं खरीदना चाहिए। इस समय में देव अर्यमा की पूजा करें और पितृ सूक्त या पितृ स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
पितरों को लिए नए कपड़े खरीद कर दान करना चाहिए। आप पितरों के लिए खरीदे समान को परिवार के गुरु जी को या किसी प्रतिष्ठित पंडित को दान कर सकते हैं।