हिंदू धर्म में बच्चे की कुंडली और उसके जन्म के समय का नक्षत्र बेहद मायने रखता है। आइए जानते है किस नक्षत्र में जन्मे बच्चों में होते है मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम जैसे गुण?
कुंडली देखकर ज्योतिष जातक के जीवन की भविष्यवाणी करते है। कुंडली से ज्योतिष यह बताते हैं कि कारोबार, प्रेम, विवाह, रोजगार, स्वास्थय समेत कई प्रकार की सूचना मिलती है।
जिस भी जातक की कुंडली में शुभ ग्रह मजबूत होते है वो अपने जीवन में ऊंचा मुकाम हासिल करते है। सही समय आने पर ऐसे जातकों की पद-प्रतिष्ठा में वृद्धि होती है।
शुभ ग्रहों के कमजोर होने पर अशुभ परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कुंडली में कुल 27 नक्षत्र हो सकते है। नक्षत्रों के अनुसार ही, भविष्य निश्चित होता है।
वाल्मीकि रामायण से भगवान श्रीराम की जन्म संबंधी जानकारियां प्राप्त होती है। श्रीराम का जन्म चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को कर्क लग्न और पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था।
भगवान श्रीराम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था। ज्योतिष के अनुसार, इन नक्षत्र में जन्में लोगों में अगाध आस्था होती है। ऐसे लोग ईश्वर के प्रति बेहद समर्पित होते है।
पुनर्वसु नक्षत्र में पैदा होने वाले बेहद सुशील और सौम्य होते हैं। बढ़ती उम्र के साथ लोगों से इनका नाता कम होने लगता है। भौतिक सुखों से यह विरक्त होते है।
इस नक्षत्र में जन्में लोगों का हृदय बेहद विशाल होते है। साथ ही, इनमें भगवान श्रीराम जैसे गुण भी देखने को मिलते है।