धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु का उल्लेख करने के लिए पुण्डरीकाक्ष का इस्तेमाल किया जाता है। आइए जानते है पुण्डरीकाक्ष स्तोत्र और इसके जाप से होने वाले लाभ के बारे में।
भगवान विष्णु ही जल के भी देवता हैं। ऐसे में यदि स्नान करते हुए पुण्डरीकाक्ष स्तोत्र का जाप किया तो श्री हरि आपको सभी सांसारिक पापों से मुक्त कर देते है।
पुण्डरीकाक्ष स्तोत्र के जाप से भगवान विष्णु के साथ-साथ मां लक्ष्मी का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। अगर धन की देवी एक बार प्रसन्न हो जाए तो जीवन में आर्थिक चुनौतियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
नमस्ते पुण्डरीकाक्ष नमस्ते मधुसूदन । नमस्ते सर्व लोकेश नमस्ते तिग्मचक्रिणे ॥ १ ॥ स्तोत्रनिधि श्री विष्णु स्तोत्राणि श्री पुण्डरीकाक्ष स्तोत्रम् विश्वमूर्ति महाबाहुं वरदं सर्वतेजसम् ।
नमामि पुण्डरीकाक्षं विद्याऽविद्यात्मकं विभुम् ॥ २ ॥ आदिदेवं महादेवं वेदवेदाङ्गपारगम् । गम्भीरं सर्वदेवानां नमस्ये वारिजेक्षणम् ॥ ३ ॥ सहस्रशीर्षणं देवं सहस्राक्षं महाभुजम् ।
जगत्संव्याप्य तिष्ठन्तं नमस्ये परमेश्वरम् ॥ ४ ॥ शरण्यं शरणं देवं विष्णुं जिष्णुं सनातनम् । नीलमेघप्रतीकाशं नमस्ये चक्रपाणिनम् ॥ ५ ॥ शुद्धं सर्वगतं नित्यं व्योमरूपं सनातनम् ।
भावाभावविनिर्मुक्तं नमस्ये सर्वगं हरिम् ॥ ६ ॥ नान्यत्किञ्चित्प्रपश्यामि व्यतिरिक्तं त्वयाच्युत । त्वन्मयं च प्रपश्यामि सर्वमेतच्चराचरम् ॥ ७ ॥, इति श्री पुण्डरीकाक्ष स्तोत्रम् ।
पुण्डरीकाक्ष स्तोत्र के जाप से भगवान विष्णु की विशेष कृपा की प्राप्ति होती है। इस स्तोत्र का जाप आप बृहस्पतिवार को भी कर सकते है।
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