रंगभरी एकादशी पर ऐसे करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें विधि


By Prakhar Pandey12, Mar 2024 03:51 PMnaidunia.com

एकादशी पर्व का महत्व

हिंदू धर्म में एकादशी के पर्व को काफी खास माना जाता है। आइए जानते है रंगभरी एकदाशी की विशेषता और भगवान विष्णु की पूजा से जुड़े नियमों के बारे में।

रंगभरी एकादशी

फाल्गुन माह में रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। रंगभरी एकादशी को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। मान्यताओं के अनुासर, इस एकादशी व्रत को सभी व्रतों से सर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

भगवान विष्णु की आराधना

हर एकदाशी व्रत पर भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। इस बार पुष्य नक्षत्र के दौरान, आमलकी एकादशी व्रत होने के चलते इसका महत्व और भी बढ़ गया है।

शुभ मुहूर्त

19 मार्च को रात 12 बजकर 22 मिनट से रंगभरी एकादशी शुरु होगी और अगले दिन 20 मार्च को 2 बजकर 23 मिनट पर खत्म होगी। उदया तिथि के अनुसार, यह व्रत 20 मार्च को बुधवार के दिन पुष्य नक्षत्र में रखा जाएगा।

व्रत का पारण

एकादशी व्रत का पारण अगले दिन 21 मार्च को दोपहर 1 बजकर 31 मिनट से लेकर शाम 4 बजकर 7 मिनट तक किया जा सकता है।

पौराणिक मान्यता

महाशिवरात्रि के बाद रंगभरी एकादशी का पर्व मनाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भोले बाबा ने महाशिवरात्रि के दिन माता पार्वती से विवाह के बाद रंगभरी एकादशी के दिन काशी गए थे।

माता पार्वती का गौना

एकादशी तिथि पर ही माता पार्वती का गौना हुआ था। यह पावन पर्व न सिर्फ महादेव की नगरी काशी बल्कि श्री कृष्ण की नगर ब्रज मंडली में भी बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है।

पुष्य नक्षत्र में पूजा

इस बार रंगभरी एकादशी पुष्य नक्षत्र में पड़ने वाली है। ऐसे में भगवान विष्णु की विधिवत पूजा अर्चना करने और यह व्रत रखने से जातकों पर श्रीहरि की कृपा बरसने वाली है।

अगर आपको रंगभरी एकादशी से जुड़ी यह स्टोरी जानकारीपूर्ण लगी तो ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें naidunia.com

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