हिंदू धर्म में कई ग्रंथों का विशेष महत्व माना जाता है। इनमें से एक सुंदरकांड का पाठ भी है। इसका पाठ करने से फायदा जरूर होता है, लेकिन नियमों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
धार्मिक मान्यता है कि सुंदरकांड का पाठ करने से जीवन की तमाम विपत्तियां दूर होती है। इसके अलावा, सफलता के मार्ग में आने वाली बाधाएं भी समाप्त हो जाती हैं।
सुंदरकांड का पाठ रोजाना करना बेहद शुभ होता है। यदि विधि-विधान के जरिए इसका पाठ किया जाता है तो इच्छा अनुसार फल भी मिलता है।
ज्योतिष के मुताबिक, सुंदरकांड का पाठ करने के लिए सुबह या शाम के 4 बजे के बाद का समय सही होता है। ऐसा भी कहा जाता है कि इस समय पाठ करने से मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती हैं।
सुंदरकांड का पाठ दोपहर 12 बजे के बाद करना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता के मुताबिक, इस समय हनुमान जी खुद प्रभु श्रीराम की भक्ति करते हैं।
सुंदरकांड का पाठ दोपहर 12 बजे के बाद करना शुभ नहीं माना जाता है। मान्यता के मुताबिक, इस समय हनुमान जी खुद प्रभु श्रीराम की भक्ति करते हैं।
सुंदरकांड का पाठ कभी भी अधूरा नहीं छोड़ना चाहिए। एक बार इसे शुरू कर दें तो पूरा करने के बाद ही उठना चाहिए। दरअसल, अधूरा पाठ करने से हनुमान जी नाराज हो सकते हैं।
सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले घी का दीपक जलाना चाहिए। बजरंगबली को भोग लगाने के लिए फल, गुड़, लड्डू तैयार करें।
सुंदरकांड का पाठ करने से विपत्तियों से छुटकारा मिलता है और मन को शांति भी मिलती है। इसके साथ ही, किसी भी कार्य को करने की शक्ति प्राप्त होती है