देवी-देवताओं की पूजा करने के बाद आरती जरूर की जाती है। मान्यता है कि बगैर आरती किए कोई भी पूजा सफल नहीं हो सकती है।
शास्त्रों और पुराणों में आरती करने के कुछ नियमों का उल्लेख भी किया गया है। यदि आप इनका पालन करते हैं तो आपको ज्यादा लाभ मिलेगा।
आरती के लिए तांबे या चांदी की थाली का ही प्रयोग करना चाहिए। इसके अलावा, आरती की थाली में कुमकुम, गंगाजल, चंदन, चावल और फूल जैसी शुभ चीजें रखें।
आरती करते समय एक जगह खड़े रहे और थोड़ा झुककर ही आरती की जाती है। आरती करने के दौरान थाली को भी सही से घुमाना चाहिए।
अब सवाल उठता है कि दीया कैसा होना चाहिए। दरअसल, पीतल या चांदी का दीया अच्छा होता है। यदि आप चाहे तो आटे या मिट्टी से बने दीए का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
स्कंद पुराण में बताया गया है कि गाय के दूध से बने घी का प्रयोग दीपक जलाने के लिए शुभ होता है। अगर आप चाहें तो सरसों के तेल का दीपक भी जला सकते हैं।
घी का दीपक जलाने के अलावा आप आरती के लिए कपूर भी जला सकते हैं। बता दें कि पूजा के लिए कपूर को भी महत्वपूर्ण सामग्री माना जाता है।
आरती करने से घर में मौजूद नेगेटिव एनर्जी का नाश होता है। बशर्ते आरती करने के सभी नियमों का ध्यान करके पालन आपको करना होगा।