सावन के महीने में भक्त शिव जी की भक्ति में पूरी तरह से मग्न होते हैं। आइए जानते सावन की शिवरात्रि से जुड़ी तमाम महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में।
सावन मास की शिवरात्रि 15 जुलाई को पड़ रही है। शिवरात्रि के दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करने से पूरे महीने की पूजा की फल करने के बराबर का लाभ मिलता है।
सावन की शिवरात्रि कृष्ण चतुर्दशी तिथि 15 जुलाई 2023 से 8 बजकर 32 मिनट से शुरु हो रही है। कृष्ण चतुर्दशी पर पड़ रही इस शिवरात्रि का समापन 16 जुलाई को रात 10 बजकर 8 मिनट पर होगा।
इस शिवरात्रि में निशिता काल मुहूर्त प्रात: 12 बजकर 7 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। निशिता काल रात्रि के उस समय को कहते हैं जो प्रात: 12 बजे से लेकर 3 बजे के बीच होता है।
सावन की शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर लेना है। स्नान के बाद निराहार या निर्जल व्रत का अपनी सहुलियत के अनुसार संकल्प लें।
शिवलिंग का दूध, दही, शहद, घी, शक्कर, गन्ने का रस आदि से अभिषेक कर गंगाजल में काला तिल मिलाकर 108 बार महामृत्युजंय मंत्र का जाप करते हुए शिवलिंग पर अर्पित करें।
शिव जी को जलाभिषेक कराने के बाद उन्हें फूल, बेलपत्र, धतूर, भांग, काला तिल आदि चढ़ाएं। साथ ही मिठाई का भोग लगा, आटे के दीये में घी का चौमुखी दीपक जलाएं।
शिव जी की विधिवत पूजा के बाद आप शिव चालीसा, शिव मंत्र, शिव तांडव, आदि का पाठ करें। भोले बाबा की शिवरात्रि के दिन इस प्रकार विधिवत पूजा-पाठ करने से आपकी हर मनोकामना पूर्ण होगी।