शनिदेव के पिता सूर्यदेव (पिता), छाया (माता) हैं। शनि ग्रह के प्रति अनेक आख्यान पुराणों में प्राप्त होते हैं। इन्हें कर्मफल दाता माना जाता है।
शनिदेव की सवारी नौ सवारियां हैं। हाथी, घोड़ा, हिरण, गधा, कुत्ता, भैंसा , गिद्ध , शेर और कौआ हैं।
शनि को सन्तुलन और न्याय का ग्रह माना गया है। जो लोग अनुचित बातों के द्वारा अपनी चलाने की कोशिश करते हैं, शनिदेव उन्हें दंडित करते हैं।
नवग्रहों के कक्ष क्रम में शनि सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर अट्ठासी करोड, इकसठ लाख मील दूर है।
पृथ्वी से शनि की दूरी इकहत्तर करोड, इकत्तीस लाख, तियालीस हजार मील दूर है। शनि का व्यास पचत्तर हजार एक सौ मील है।
शनि के चारों ओर सात वलय हैं,शनि के 15 चन्द्रमा है। जिनका प्रत्येक का व्यास पृथ्वी से काफ़ी अधिक है।