28 अक्टूबर को मनाई जा रही शरद पूर्णिमा पर खीर का चांद की रोशनी में रखने का विशेष महत्व होता है। लेकिन ग्रहण के चलते कई सवाल बने हुए है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा पर किस मंत्र का जाप करते हुए खीर खाना चाहिए।
शरद पूर्णिमा पर खुले आसमान के नीचे रखी खीर का सेवन काफी धार्मिक रूप से काफी लाभकारी माना जाता है। मान्यता हैं कि इसे खाने से रोगों से मुक्ति मिलती हैं।
खुले आसमान के नीचे रखी खीर को अमृततुल्य माना जाता है। इस खीर के सेवन से सेहत को फायदा होता है और व्यक्ति के रोग-दोष दूर होते हैं।
दूध, चावल और चीनी से बनने वाली खीर के कारक चंद्रमा भी होते है। ऐसे में शरद पूर्णिमा पर खीर खाने से शरीर पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं।
यदि जातक की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो तो शरद पूर्णिमा पर स्फटिक की माला से 'ॐ सों सोमाय' मंत्र का जाप करना चाहिए। चंद्रमा अगर 6वें, 8वें या 12वें भाव में हो तो चंद्रमा की पूजा करना चाहिए।
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 28 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 17 बजे शुरू हो चुकी है। यह तिथि 29 अक्टूबर को सुबह 1 बजकर 53 मिनट पर खत्म होगी।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।। ॐ श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। ॐ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। मंत्र का जाप का जाप करें।
पूर्णिमा तिथि पर चंद्रमा अपने 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसे में इस दिन इनकी पूजा करने से विशेष कृपा की प्राप्ति होती है।