भगवान शिव का प्रतीक शिवलिंग को माना जाता है। इस वजह से भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग की पूजा करने की परंपरा चली आ रही है।
माघ मास में आने वाली महाशिवरात्रि का खास महत्व होता है। इस बार शिव जी को समर्पित यह व्रत 8 मार्च के दिन रखा जाएगा। खास बात है कि महादेव की पूजा शिवलिंग के रूप में की जाती है।
वेदव्यास की रचित शिव पुराण में शिवलिंग पूजन का तरीका और नियमों के बारे में विस्तार से बताया गया है। चलिए जल अर्पित करने का सही तरीका आज विस्तार से जान लेते हैं।
शिव पुराण के मुताबिक, शिवलिंग या किसी भी देवी-देवता की मिट्टी से बनी मूर्ति का पूजन करना ज्यादा शुभ होता है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूजा जल्दी सफल होती है।
महादेव की कृपा हासिल करने के लिए सच्चे मन और विधि-विधान के साथ उनकी पूजा करनी चाहिए। कहा तो ऐसा भी जाता है कि व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति भी होती है।
हम सभी जानते हैं कि शिवलिंग पर जल या कच्चा दूध अर्पित करना शुभ होता है। खैर, ज्यादातर लोग पूजन के दौरान कुछ गलतियां कर बैठते हैं, जिसकी वजह से भोलेनाथ नाराज भी हो सकते हैं।
शिवलिंग पर जल चढ़ाते समय पानी की धार तेज नहीं रखनी चाहिए। शिव पुराण में बताया गया है कि शिवलिंग पर हमेशा बैठकर धीमी गति में जल चढ़ाना चाहिए।
शिवलिंग पर जल अर्पित करते समय कुछ शुभ मंत्रों का जाप किया जाता है। इसके लिए आप ‘ॐ पार्वतीपतये नमः:’ या ‘ॐ पशुपतये नम:’ और ‘ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ’ का जाप कर सकते हैं।
शिव पुराण में शिवलिंग पूजा के नियम बताए गए हैं, जिनके बारे में हमने यहां बात की। ऐसी ही अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ