हिंदू धर्म में मंदिरों में दर्शन करने का विशेष महत्व और मान्यताएं होती है। आइए जानते है महिलाओं को क्यों सिर ढक कर मंदिर में प्रवेश करना चाहिए?
हिंदू धर्म में पूजा के दौरान सदियों से सिर ढकने की परंपरा रही है। महिलाओं के अलावा पुरुष भी पूजा एवं अनुष्ठान में सिर पर रुमाल या तौलिया रखकर बैठते है।
महिलाएं जब भी किसी का पैर छूती है तो सिर पर साड़ी या फिर दुपट्टा जरूर रखती है। खासकर, मंदिर के अंदर महिलाओं के लिए सिर ढक कर दर्शन करने की परंपरा रही है।
अगर कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश से पहले साड़ी के पल्लू या दुपट्टे से सिर ढक लेती है तो उसके आसपास की नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। पूजा में एकाग्रता के लिए भी सिर का ढका हुआ होना जरूरी है।
लंबे बाल होने के चलते अक्सर महिलाओं के बाल टूटते भी रहते है। ऐसे में सिर खुला होने पर मंदिर में बाल गिरने से मंदिर की पवित्रता पर गलत असर भी पड़ता है। टूटे बाल मृत हिस्से के समान होते है। बाल ढकने से यह समस्या भी नहीं होती है।
महिलाएं जब सिर ढक कर मंदिर में प्रवेश करती है तो पूजा के दौरान वो एकाग्र रूप से भगवान का ध्यान कर पाती है। मन मस्तिष्क एकाग्र होने पर पूजा का पूर्ण लाभ प्राप्त होता है।
पूजा के दौरान सिर खुल हुए होने से आकाशीय विद्युत तरंगे सीधे व्यक्ति के अंदर प्रवेश कर जाती हैं, इसलिए सिर को हमेशा ढक कर ही रखना चाहिए। वरना आपको शारीरिक समस्याएं आती है।
वैज्ञानिक कारणों के मुताबिक, धार्मिक स्थल पर भीड़ के चलते हानिकारक कीटाणु सिर के माध्यम से ही प्रवेश करते है। ऐसे में सिर ढका होने से कीटाणुओं का प्रवेश बालों के माध्यम से नहीं हो पाता है।