वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर हिंदू धर्म के लोगों में एक विशेष महत्व रखता हैं। आइए जानते है काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़े कुछ तथ्यों के बारे में।
वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में स्थित शिव जी के ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए हजारों की संख्या में लोग आते हैं। सावन के महीने में इस मंदिर के दर्शन करने का काफी विशेष महत्व होता है।
सूर्य की पहली किरण काशी यानी वाराणसी पर पड़ी थी। मान्यता हैं कि काशी विश्वनाथ मंदिर में कुछ समय के लिए भोलेनाथ खुद रहे थे। इसलिए काशी को शिव की नगरी भी कहा जाता हैं।
बाबा विश्वनाथ के मंदिर में घुसने के लिए कला द्वार, प्रतिष्ठा द्वार, निवृत्ति द्वार और शांति द्वार है। बाबा विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मुगल काल में काशी विश्वनाथ मंदिर को कई बार तोड़ा और लूटा गया था। मुगल सम्राट अकबर ने मंदिर के निर्माण की आज्ञा दी थी। बाद में औरंगजेब ने मंदिर को नष्ट कर वहां मस्जिद बनवा दिया है।
मंदिर को नष्ट कर औरंगजेब द्वारा जिस मस्जिद का निर्माण करवाया गया था, उसे ज्ञानवापी मस्जिद कहते है। वर्तमान के काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण इंदौर की रानी अहिल्या बाई होल्कर ने कराया था।
बाबा विश्वनाथ को काशी का राजा भी कहा जाता है। मान्यता हैं कि काशी में मंदिर का दर्शन करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती है साथ ही सभी दुख दर्द भी दूर होते हैं।
कहा जाता हैं कि जब पूरी दुनिया अंत के करीब होगी तो बाबा विश्वनाथ अपनी त्रिशूल की नोक से इस जगह की रक्षा करेंगे। काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के साथ-साथ काल भैरव मंदिर का दर्शन भी करना चाहिए।