जब हैरावण राम व लक्ष्मण को बलि देने पाताल लोक ले गया तब हनुमानजी ने पाताल लोक में अहरावण को मारने के लिए गदा की जगह उठाई थी तलवार।
ग्वालियर चंबल अंचल में सभी मंदिराें में हनुमानजी की प्रतिमा में हाथ में गदा दिखाई देती है। लेकिन एक मात्र मंदिर ऐसा है जिसमें गदा की जगह तलवार है।
पहले यहां कई राजा युद्ध लड़ने से पहले जीत का आशीर्वाद लेने आते थे और आज तक किसी की आशीर्वाद लेने के बाद हार नहीं मिली है।
राम-लक्ष्मण को हैरावण पाताललोक ले गया था और माता को बलि देने वाला था। हुनमानजी ने हैरावण की तलवार से उसका वध कर दिया था। उसी रूप को यहां प्रदर्शित किया गया है।
तलवार वाले हनुमानजी का मंदिर 600 साल से अधिक पुराना है। यह मूर्ति की स्थापना कैसे हुई कोई नहीं जानता। मंदिर का वर्तमान स्वरूप अभी हाल ही में विकसित हुआ है।
तलवार वाले हनुमानजी के बारे में माना जाता है कि यहां पर जो भी व्यक्ति अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए आता है तो उसकी मनोकामना पूरी हो जाती है।