भगवान विश्वनाथ की नगरी काशी में कालभैरव कोतवाल के रूप में विराजित हैं, वहीं उज्जैन में ये बाबा महाकाल के सेनापति हैं।
कालभैरव मंदिर में मदिरा का भोग लगाया जाता है, मूर्ति के मुख पर पात्र रखते ही यह वे इसे ग्रहण कर लेते हैं।
कालभैरव मंदिर में करीब 1000 वर्ष पुराना अष्टदल कमल यंत्र है, इसे साधना के लिए बहुत खास माना जाता है।
उज्जैन में डोल ग्यारस पर बाबा काल भैरव की सवारी निकाली जाती है। इस दौरान उन्हें सिंधिया राजघराने की पगड़ी पहनाई जाती है।