इसलिए मंदिरों में गीले कपड़ों में की जाती है परिक्रमा


By Sandeep Chourey2023-05-09, 12:51 ISTnaidunia.com

भगवान की परिक्रमा

हिंदू धर्म में किसी धार्मिक स्थल या मंदिर में भगवान के दर्शन के बाद परिक्रमा की जाती है, लेकिन कुछ मंदिरों में गीले कपड़ों में ही परिक्रमा की जाती है।

ऋग्वेद में भी उल्लेख

ऋग्वेद में प्रदक्षिणा शब्द में प्रा से तात्पर्य ‘आगे बढ़ना’ है और दक्षिणा मतलब चार दिशाओं में से एक दक्षिण की दिशा की ओर आगे बढ़ने से है।

परिक्रमा लगाने के फायदे

पौराणिक मान्यता है कि मंदिर स्थल या शक्ति स्थल की ऊर्जा को ग्रहण करना चाहते हैं तो आपको घड़ी की सुई की दिशा में चारों ओर परिक्रमा लगानी चाहिए।

ईश्वरीय शक्ति से संबंध

हिंदू मान्यता है कि देवस्थान एक भंवर की तरह काम करता है क्योंकि उसमें कंपन होता है और यह अपनी ओर खींचता है। परिक्रमा से ईश्वरीय शक्ति से संबंध स्थापित होता है।

देवस्थान पर ऊर्जा प्रवाह

गीले बालों या कपड़ों में यदि परिक्रमा की जाती है तो इस देवस्थान की ऊर्जा को ज्यादा ग्रहण किया जा सकता है।

ग्रह दशा का असर

धार्मिक मान्यता यह भी है कि परिक्रमा गीले कपड़ो में करने से ग्रहों के अशुभ फलों में कमी आती है और शुभ फलों में बढ़ोतरी होती है।

परिक्रमा के नियम

मंदिर की परिक्रमा एक निश्चित संख्या में की जाती है। हर देवी या देवता की लिए भी परिक्रमा की संख्या निर्धारित होती है।

देवी परिक्रमा सिर्फ 1 बार

आदि शक्ति मां दुर्गा, मां लक्ष्मी, मां सरस्वती, मां पार्वती के किसी भी रूप की परिक्रमा केवल एक ही बार की जानी चाहिए।

विष्णु जी परिक्रमा

भगवान विष्णु एवं उनके सभी अवतारों की चार परिक्रमा करनी चाहिए। वहीं गणेश जी और हनुमान जी की 3 परिक्रमा करने का नियम है।

शिव जी की परिक्रमा

शिवजी की आधी परिक्रमा करनी चाहिए, क्योंकि शिवजी के अभिषेक की धारा को लांघना अशुभ माना जाता है।

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