शिव जी की तीसरी आंख को लेकर कई रोचक कहानियां और तथ्य मौजूद है। आज हम आपको बताएंगे भोले बाबा की तीसरी आंख से जुड़ी ये खास बातें।
धार्मिक शास्त्रों में शिव जी की तीसरी आंख को बेहद शक्तिशाली बताया गया है। शास्त्रों में कहा गया हैं कि शिव जी का तीसरा नेत्र वो सब कुछ देख सकता है जो सामान्य आंखे नहीं देख पाती।
तीन आंखों के होने के चलते भोले बाबा त्रयंबक भी कहा जाता हैं। शिव जी की तीसरी आंख उनके माथे के बीचो बीच है।
मान्यता हैं कि शिव जी अपनी इन तीनों आंखों से भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों कालों को देख सकते हैं। भगवान त्रयंबक जी तीसरी आंख को शिव अग्नि का स्वरुप माना जाता है।
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार जब ब्रह्मांड में सब कुछ सहीं न चल रहा हो तो शिव जी क्रोधित होकर अपनी तीसरी आंख खोलते है। शिव जी के तीसरे नेत्र का खुलना खतरे की घंटी की तरह देखा जाता है।
शिव जी की दांयी आंख सूर्य और बायी आंख को चंद्रमा कहा जाता है। भोलेनाथ की माथे पर बनी तीसरी आंख को अग्नि का स्वरुप माना जाता है। कहा जाता हैं कि जब वे तीसरा नेत्र खोलेंगे तो ब्रह्मांड में प्रलय आ जाएगा।
शिव जी की तीसरी आंख इस बात का संकेत हैं कि इस पूरे जगत का न तो कोई आदि है और नही कोई अंत। शिव जी को महाकाल भी कहते हैं।
कालों के काल को महाकाल कहा जाता है। माना जाता हैं कि शिव जी की सच्ची श्रद्धा और आस्था से भक्ति करने से वो आपकी सभी दुख, दर्द और बाधाएं हर लेते हैं।