भगवान शिव को ऐसे मिला था त्रिशूल? जानें इसका महत्व
By Sandeep Chourey2023-05-19, 09:40 ISTnaidunia.com
भोलेनाथ का साकार रूप
भगवान भोलेनाथ को साकार रूप में सर्प और डमरू के साथ त्रिशूल के साथ देखा जाता है। यही कारण है कि महादेव का त्रिशूल धारी भी कहा जाता है।
संहारक है भोलेनाथ भगवान
भोलेनाथ को संहारक माना जाता है। हालांकि संहार करने के लिए उन्हें किसी शस्त्र की जरूरत नहीं होती है। त्रिशूल को एक प्रतीक के रूप में दिखाया जाता है।
त्रिशूल का महत्व
भगवान शिव का त्रिशूल पवित्रता एवं शुभ कर्म का प्रतीक है। कई शिवालयों में सोने चांदी और लोहे की धातु से बने त्रिशूल दिखाई देते हैं। त्रिशूल में जीवन के कई रहस्य है।
सृष्टि के तीन गुण
हिंदू मान्यता के अनुसार ब्रह्मनाद से जब भगवान भोलेनाथ प्रकट हुए, तभी सृष्टि में तीन गुण उत्पन्न हुए और शिव जी शूल बनें और इससे ही त्रिशूल का निर्माण हुआ।
तीन गुणों का प्रतीक
भगवान शिव जब प्रकट हुए थे, तब उनके साथ रज, तम और सत गुण भी प्रकट हुए थे और इन्हीं तीन गुणों से मिलकर भगवान भोलेनाथ शूल बनें और त्रिशूल बना।
तीन काल का प्रतीक
महादेव के त्रिशूल को तीन काल भूतकाल, भविष्य काल और वर्तमान काल से भी जोड़कर देखा जाता है। महादेव को भक्त त्रिकालदर्शी भी कहते हैं।
तीन नाड़ियों का प्रतीक
भगवान भोलेनाथ का त्रिशूल वाम भाग में स्थिर इड़ा, दक्षिण भाग में पिंगला और मध्य भाग में सुषुम्ना नाड़ी का भी प्रतीक माना जाता है।