देवादिदेव महादेव की आराधना से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। उनको मुक्तिदाता और वरदान के देव माना जाता है।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने मात्र से मानव को सुख-समृद्धि, धन-दौलत और आरोग्य की प्राप्ति होती है। जानें कैसे हुई थी इस मंत्र की उत्पत्ति
मार्कण्डेय ऋषि को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। मार्कण्डेय ऋषि का नाम 8 अमर लोगों में शामिल है। मार्कण्डेय ऋषि के पिता का नाम ऋषि मृकण्डु था।
मृकण्डु ऋषि को जब लंबे समय तक कोई संतान नहीं हुई तो उन्होंने पत्नी के साथ भगवान शिव की आराधना की। तब अल्पायु गुणवान पुत्र की प्राप्ति हुई।
मार्कण्डेय जैसे ही बड़ा हुआ उसको अपने अल्पायु होने के संबंध में पता चला। उम्र के बढ़ने के साथ मार्कण्डेय की शिव भक्ति भी बढ़ने लगी।
शिव पूजा करते समय उन्हें ब्रह्मदेव से महामृत्युंजय मंत्र ' ऊँ त्र्यंबकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टिवर्द्धनम्, ऊर्वारुकमिव बन्धनात, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् की दीक्षा मिली।