19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में ग्वालियर अंचल में अकाल पड़ा था। अकाल से सबक लेकर सिंधिया शासकों ने 1916 में बनवाया था तिघरा डैम। जिससे होती है शहर में जलापूर्ति और क्षेत्र में सिंचाई।
सिंधिया शासक माधौ महाराज ने करीब सौ साल पहले तिघरा जलाशय बनवाया। इस डैम को बनाने के लिए उन्होंने देश के महान इंजीनियर एम. विश्वेश्वरैया की मदद ली।
मैसूर रियासत के चीफ इंजीनियर विश्वेश्वरैया को उन दिनों बांध बनाने के मामले में दुनिया सर्वश्रेष्ठ इंजीनियर थे। उन्होंने तीन ओर से पहाड़ियों से घिरे सांक नदी के क्षेत्र को बांध के लिए चुना।
तिघरा बांध करीब 24 मीटर ऊंचा और 1341 मीटर लंबा है।बांध की क्षमता 4.8 मिलियन क्यूबिक फीट है। विश्वेश्वरैया ने खुद के ईजाद किए फ्लड गेट लगाए थे। ये गेट 100 साल बाद आज भी कारगर साबित हो रहे हैं।
तिघरा बांध वर्तमान में सिंचाई की जरूरत व पीने के पानी की जरूरत तो दूर करता ही है। लेकिन अब यह अच्छा खासा टूरिस्ट स्पाट बन गया है। यहां पर वीकेंड और छुटि्टयों में लोग जाते हैं।
तिघरा डैम में घूमने जाने वाले सैलानी डैम में मोटर बोट से बोटिंग भी करते हैं। यहां पर पर्यटकों के लिए और भी कई सुविधाएं जुटाई गई हैं।