त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक प्राचीन हिंदू मंदिर है, जो नासिक शहर से 28 किलोमीटर दूर त्र्यंबक शहर में स्थित है। बना हुआ है। यह भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की सबसे अद्भुत बात यह है कि इसके तीन मुख हैं। इस लिंग के चारों ओर एक रत्नजडित मुकुट रखा गया है। मान्यता है कि यह मुकुट पांडवकालीन है।
गोदावरी नदी के किनारे बने त्र्यंबकेश्वर मंदिर का निर्माण काले पत्थरों से किया गया है। इस मंदिर की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत और अनोखी है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण नाना साहब पेशवा ने करवाया था। इस मंदिर का जीर्णोद्धार सन 1755 में शुरू हुआ था, जिस काम का अंत बाद 1786 में संपन्न हुआ।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर सिंधु आर्य शैली का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर के भीतर एक गर्भगृह है, जिसमें प्रवेश करने के पश्चात शिवलिंग की सिर्फ आंख ही दिखाई देती है, लिंग नहीं।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में कुंड का नाम ‘कुशावर्त’ है, कुंभ स्नान के समय शैव-अखाड़े इसी कुंड में शाही स्नान करते हैं। त्र्यंबकेश्वर में ही ऋषि गौतम की तपोभूमि थी।
मान्यता है कि ब्रम्हगिरी पर्वत से गोदावरी नदी बार-बार लुप्त हो जाया करती थी। गोदावरी के पलायन को रोकने के लिए गौतम ऋषि ने एक कुशा से इसे बांध दिया था।