हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे को पूजनीय और पवित्र माना जाता है। मान्यता है कि इस पौधे में धन की देवी का वास होता है, जिसकी वजह से तुलसी की पूजा भी की जाती है।
शास्त्रों में बताया गया है कि स्नान करने के बाद ही तुलसी के पौधे में जल अर्पित करना चाहिए। अस्वच्छ अवस्था में तुलसी के पत्तों को छूने की भी मनाही होती है।
ज्यादातर धार्मिक मान्यता और परंपरा है कि किसी भी देवी-देवता या पौधे की पूजा करते समय व्यक्ति को शुद्ध अवस्था में होना चाहिए।
धार्मिक कार्यक्रमों और अनुष्ठान में शुद्धता को महत्वपूर्ण माना जाता है। बिना नहाए किसी भी पूजा में शामिल होंगे तो उससे पूजन की शुद्धता प्रभावित हो सकती है।
माना जाता है कि तुलसी में बिना नहाए जल चढ़ाने से धन की देवी रुष्ट हो सकती हैं। मां लक्ष्मी के नाराज होने पर व्यक्ति को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ सकता है।
जल तुलसी के पौधे में सुबह के समय सूर्योदय से पहले या सूर्योदय के समय जल अर्पित करना चाहिए। हालांकि, इस समय जल अर्पित करने से पहले स्नान जरूर कर लें।
अगर आप बिना नहाए तुलसी के पौधे में जल अर्पित करेंगे तो इससे तुलसी का अपमान होता है। ऐसे में आपको तुलसी की पूजा का कोई लाभ नहीं मिलेगा।
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं। हमारी तरफ से इसकी सत्यता का दावा नहीं किया जा रहा है।
यहां हमने जाना कि तुलसी में बिना नहाए जल क्यों नहीं चढ़ाना चाहिए। इस तरह की अन्य धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ