ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रह अपनी स्थिती में परिवर्तन करते हैं, तो उसे
सूर्य को 'ग्रहों का राजा' माना जाता है। यह व्यक्ति की आत्मा, स्वयं, व्यक्तित्व, अहंकार और अद्वितीय विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य ग्रह चुनौतियों का सामना करने की शक्ति और व्यक्तित्व को बढ़ाता है।
मंगल ग्रह को क्रूर और ऊर्जावान ग्रह के रूप में जाना जाता है। यह वह ग्रह है, जो जातक के दिमाग और बुद्धि को तेज करता है। इसके प्रभाव से मनुष्य अपनी जीवन यात्रा में साहसी कार्य करता है।
बुध ग्रह को राजकुमार का दर्जा दिया गया है और यह विशेष रूप से बुद्धि, विवेक, वाणी, व्यापार और संचार का कारक ग्रह है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में बुध ग्रह की स्थिति मजबूत हो, तो उसे व्यापार में लाभ मिलता है।
बृहस्पति को अधिक शुभ ग्रह माना गया है। बृहस्पति को देव गुरु भी कहा जाता है और यह ज्ञान, कर्म, धन, पुत्र और विवाह का कारक है। यदि आपकी कुंडली में गुरु शुभ है, तो कठिन परिस्थितियों में भी सहयोग मिलता है।
नौ ग्रहों में से एक शुक्र ग्रह भी है, जिसे भाग्य का कारक माना जाता है। शुक्र ग्रह के स्वामी स्वयं देवी लक्ष्मी हैं। शुक्र को स्त्री ग्रह माना जाता है। कुंडली के अन्य ग्रहों की तरह शुक्र भी जातक पर प्रभाव दिखाता है।
न्याय और कर्म के देवता शनि को सभी ग्रहों में विशेष माना जाता है। शनि को शारीरिक बल, उदारता, विपत्ति, योग साधना, संप्रभुता, ऐश्वर्य, मोक्ष, यश, नौकरी, मूर्च्छा आदि का कारक ग्रह माना गया है।
राहु को क्रूर ग्रह माना गया है। राहु भले ही खगोलीय रूप से ग्रह न हो। लेकिन ज्योतिष में राहु का बहुत महत्व है। राहु ग्रह एक हानिकारक ग्रह माना जाता है, क्योंकि इस ग्रह की दशा जातक के लिए शुभ नहीं होती।
राहु के साथ केतु का भी नाम रखा गया है, क्योंकि दोनों एक दूसरे के विपरीत बिंदुओं पर समान गति से चलते हैं। राहु-केतु के गोचर का जीवन पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। ये ग्रह एक साथ राशि बदलते हैं और हमेशा टेढ़े-मेढ़े चलते हैं।
वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा सबसे तेज गति वाला ग्रह माना जाता है और चंद्रमा ढाई दिन में राशि बदलता है। इसलिए यह ग्रह प्रत्येक राशि पर अपने गोचर के अनुसार प्रभाव डालता है।