लोग कई कारणों से कर्ज लेते है। कुछ बेहद जरूरी काम के लिए कर्ज लेते है तो वही कुछ सिर्फ अपने मजे और फिजूलखर्ची के लिए भी कर्ज लेते है। आइए जानते है कुंडली में किस ग्रह के कमजोर होने पर व्यक्ति कर्जदार बनने लगता है?
कुंडली में ग्रहों की स्थिति ठीक नहीं होने पर व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बढ़ने लगता है। एक कर्ज चुकाने के लिए व्यक्ति दूसरा कर्ज लेता है और इसी प्रकार वह लंबे समय तक कर्ज के चक्कर में पड़ा रह जाता है।
कुंडली में जब ग्रह सही स्थिति में नहीं होते तो वह व्यक्ति को कर्ज लेने के लिए मजबूर करते है। कुछ ग्रहों के साथ जब चंद्रमा कुंडली में स्थान पर बैठते है तो व्यक्ति पर कर्ज का बोझ बन रहता है।
कुंडली के छठे भाव में जब चंद्रमा के साथ मंगल या बुध बैठे हो तो व्यक्ति को जीवन भर कर्ज के बोझ के तले दबा रहना पड़ता है।
छठे भाव में मंगल या बुध के होने से व्यक्ति हमेशा याचक की भूमिका में रहता है। ऐसी स्थिति में व्यक्ति को अपनी हर योजना के लिए धन की आवश्यकता रहती है।
इन दो ग्रहों के कुंडली में चंद्रमा के साथ बैठने से व्यक्ति नौकरी या व्यवसाय दोनों करते हुए भी कर्जदार रहता है। नौकरी और व्यवसाय दोनों में जातक को धन की जरूरत पड़ती है।
अगर मंगल और गुरु कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा के साथ मौजूद है तो व्यक्ति की आर्थिक स्थिति हमेशा डामाडोल रहती है। साथ ही, लोगों से भी संबंध खराब रहते है।
कुंडली में यह स्थिति पैदा होने पर व्यक्ति पैसों को मैनेज नहीं कर पाता है और उसकी आर्थिक स्थिति भी खराब रहती है। ऐसे समय में व्यक्ति के बने रिश्ते भी बिगड़ने लगते है।
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