हिंदू धर्म में सीता जी को माता का दर्जा दिया जाता है। उन्हें सुंदरता और भक्ति की देवी के रूप में जाना जाता है। माता सीता को उनके समर्पण, आत्म-बलिदान, साहस और पवित्रता के लिए जाना जाता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सीता माता के उपदेश क्या है-
माता सीता ने कठिन समय में भगवान राम के साथ ही रहना स्वीकार किया। पति को अपनी पत्नी के हर कदम पर साथ देना जरूरी है, उसी तरह पत्नी का भी उसके पति के हर सुख और दुख में साथ देना जरूरी है।
व्यवहार और सादगी ही माता सीता की सुंदरता और श्रृंगार थे, जो उन्हें प्रिय बनाता है। सीता माता ने अपना पूरा जीवन में वनवास में बिताया, जिससे उन्होंने पति की पूर्ण आत्मसमर्पण भावना दिखाया।
रावण द्वारा अपहरण और अपमान किए जाने के बाद भी माता सीता ने उसे क्षमा करते हुए उसके प्रति उदारता दिखाई, जो एक महान महिला के गुण हैं।
माता सीता में भगवान राम के प्रति प्रेम और समर्पण की भावना थी, जोकि हर दांपत्य जीवन की नींव है। हर कदम में भगवान राम का साथ दिया।
माता सीता धर्म के प्रति पूर्ण समर्पित और निष्ठावान रहीं, जिस कारण उन्होंने आदर्श महिला के रूप में स्थान बनाया।
माता सीता सिर्फ गृहिणी ही नहीं थीं, वह घर में रहकर रोटी बनाना या घर के ही कामकाज देखती थीं। साथ ही, भगवान राम के हर काम में हाथ बंटाती थीं।
माता सीता को भगवान राम पर विश्वास था कि वह उन्हें इस अशोक वाटिका से ले जाएंगे। इस अटूट विश्वास को भगवान राम में टूटने नहीं दिया।
ये सीता माता के उपदेश हैं, जो हर किसी को अपनाने चाहिए। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM