मुस्लिम समाज के लोग शब ए बारात के दिन को काफी पाक दिन मानते हैं। इस दिन लोग इबादत में मशगूल रहते हैं।
शब ए बारात दो शब्दों से बना है। शब यानी रात और बारात यानी बरी होने वाली रात। शब ए बारात का अर्थ होता है कि यह गुनाहों से बरी होने वाली रात है।
इस्लाम में कुल 4 रातों को महत्वपूर्ण बताया गया है। आशूरा, शब ए कद्र, शब ए मेराज और शब ए बारात। इन चार रातों में अल्लाह की इबादत करके आपको कई गुना सवाब मिलता है।
शब ए बारात की रात की काफी फजीलत है इसलिए इस इिन का लोगों को बेसब्री से इंतजार होता हैं। आइए जानते हैं कि आखिर इस दिन मुस्लिम समुदाय के लोग करते क्या हैं?
शब ए बारात के दिन लोग मुर्दों को याद करते है और उनके गुनाहों की माफी के लिए अल्लाह से दुआ करने कब्रिस्तान जाते है। कब्रिस्तान जाने के बाद इस बात को भी याद करते है कि एक दिन हमें भी यहीं आना हैं।
इस्लाम में में फर्ज और सुन्नत नमाजों के अलावा नफिल नमाज भी है। नफिल नमाज अगर कोई न पढ़े, तो गुनाह नहीं हैं, लेकिन यदि पढ़ता है तो इसके बेहिसाब फायदे है।
मुस्लिम पुरुष मस्जिदों में जाकर इबादत करते हैं, तो वहीं मुस्लिम महिलाएं घरों में नफिल नमाज और कुरान की तिलावत करती हैं।
इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, शब ए बारात शाबान की 15वीं रात को मनाया जाता है। शाबान इस्लामिक कैलेंडर का आठवां महीना है।
मुस्लिम धर्म में शब ए बारात की फजीलत काफी होती है। धर्म और अध्यात्म की खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ