हिंदू धर्म में देवी या देवता की मूर्ति स्थापना की जाती है। स्थापना के दौरान पूरे विधि विधान का पालन करते हुए प्राण प्रतिष्ठा की जाती है। आइए जानते है प्राण प्रतिष्ठा क्या होती हैं?
राम मंदिर में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम 22 जनवरी 2024 को होने वाला है। इसके लिए धार्मिक अनुष्ठानों की शुरुआत 16 जनवरी से हो जाएगी।
घर में जब किसी मूर्ति की स्थापना की जाती है तो मूर्ति को जीवित करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है। इस अनुष्ठान को ही प्राण प्रतिष्ठा कहते है।
मान्यताओं के मुताबिक, वास्तव में पूजा-आराधना मूर्ति की नहीं, बल्कि उसमें बसने वाली दिव्य शक्ति और चेतनी की होती है।
प्राण प्रतिष्ठा की परंपरा सनातन धर्म में सांस्कृतिक मान्यताओं से संबंधित है। प्राण-प्रतिष्ठा करने का अर्थ है कि मूर्ति में ईश्वरत्व को स्थापित करना। प्राण प्रतिष्ठा के साथ मंत्रों के जाप और धार्मिक अनुष्ठान भी किए जाते है।
देव प्रतिमा की स्थापना हमेशा मंत्रोच्चार के साथ करनी चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, पत्थर की प्रतिमा को स्थापित नहीं किया जाता है क्योंकि पत्थर की मूर्ति की रोज पूजा होती है।
एक मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा में सबसे पहले देव प्रतिमा को पवित्र नदियों के जल से स्नान कराएं, फिर मूर्ति को सॉफ्ट कपड़े से पोछे, प्रतिमा को सुंदर वस्त्र धारण कराएं और स्वच्छ जगह पर विराजित करें।
भगवान की मूर्ति या प्रतिमा पर चंदन का लेप आदि लगाने के बाद फूल- माला से सिंगार करें और बीज मंत्रों का पाठ कर प्राण प्रतिष्ठा कर लें। अंत में देव स्तुति और आरती के पश्चात प्रसाद का वितरण कर दें।