हिंदू धर्म में गोत्र काफी महत्व है। हिंदू धर्म की शादियां अपनी खास रीति-रिवाजों के लिए जानी जाती है।
गोत्र
मान्यताओं के अनुसार गोत्र सप्तऋषि के वंशज का रूप है और जिसका अर्थ 7 ऋषि से होता हैं।
सेम गोत्र
गोत्र गोत्री विवाह और गोत्र का चलन एक ही खून से संबंधित रखने वालों के बीच शादी को रोकने के लिए किया गया था।
मान्यताएं
ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार एक गोत्र में शादी इसलिए नही की जाती क्योंकि एक गोत्र से अर्थ है कि दोनो के एक ही पूर्वज है ऐसे में लड़का-लड़की आपस में भाई-बहन लगें।
इन गोत्रों में शादी वर्जित
हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार कुछ गोत्र ऐसे भी है जिनमें शादी करना माना है। माता के गोत्र और पिता के गोत्र को छोड़कर आप किसी भी गोत्र में विवाह कर सकते है।
परेशानियां
हिंदू मान्यताओं के मुताबिक अगर कोई एक ही गोत्र में शादी करता है तो वैवाहिक जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं।
सात पीढ़ियों के बाद गोत्र
ज्योतिषियों की मानें तो सात पीढ़ियों के बाद गोत्र बदल जाता है फिर ऐसी स्थिति में एक साथ शादी किया जा सकता है।
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