बांके बिहारी मंदिर में कान्हा जी के दर्शन के लिए रोजाना भक्तों की भीड़ रहती है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में दर्शन करने से भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण होती है। आइए जानते हैं कि बांके बिहारी मंदिर में घंटी क्यों नहीं है-
ऐसा माना जाता है कि इस धाम में कृष्ण जी बाल गोपाल स्वरूप में विराजमान हैं और घंटियों के बजाने से वे चौंकने के साथ-साथ परेशान भी हो सकते हैं, जिसके चलते घंटी नहीं लगाई गई है।
बाल रूप में कान्हा को ज्यादा तेज आवाज के कारण डर जाएं या उन्हें परेशानी हो, इसलिए न ही यहां आरती करते समय ताली बजाई जाती है और न ही घटी बजाया जाता है।
मथुरा, वृंदावन या ब्रजधाम में अधिकतर मंदिरों में घंटा और घंटी है, एक मात्र बिहारी जी के मंदिर में ही घंटा या घंटी नहीं है। क्योंकि इससे कान्हा को परेशानी हो सकती है।
स्वामी हरिदास अपने बालक के रूप में बांके बिहारी को लाड़-प्यार करते थे। छोटे बालक को किसी तरह का कष्ट न हो इसके लिए वे घंटी नहीं बजाते थे।
ऐसी माना जाता है कि यहां पर जो भक्त भक्ति के साथ दर्शन करने के लिए आते हैं उनकी सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही जीवन में कल्याण होता है।
मंदिर में बाल रूप होने के कारण पुजारी के साथ-साथ यहां आने वाले भक्त भी उन्हें लाल को लाड लडाये बिना नहीं रहते।
इन कारणों से बांके बिहारी मंदिर में घंटी नहीं है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM