महाभारत में अर्जुन ने कई शूरवीरों को युद्ध भूमि में पराजित किया था। इस दौरान उन्होंने हस्तिनापुर के जमाता को भी मृत्यु रे घाट उतारा था। आइए जानते है हस्तिनापुर के जमाई को अर्जुन ने क्यों किया था पराजित?
कुरुक्षेत्र का रण शूरवीरों से भरा था। इस युद्ध में कई बड़े योद्धा जहां पराजित हो रहे थे, तो शकुनि जैसे कुछ योद्धा अपने छल से रण में विजय का प्रयास कर रहे थे।
अभिमन्यु की मृत्यु की वजह हस्तिनापुर के जमाता और कौरवों की इकलौती बहन दुशाला के पति जयद्रथ थे। जयद्रथ ने कड़ी तपस्या से यह विद्या हासिल की थी कि अर्जुन के सिवा उसे कोई हरा नहीं सकेगा।
गुरु द्रोण द्वारा बनाए चक्रव्यूह में अभिमन्यू के प्रवेश करने के पश्चात जयद्रथ ने 4 पांडवों को चक्रव्यूह में प्रवेश नहीं करने दिया। जयद्रथ को युधिष्ठिर, भीम, नकुल और सहदेव मिलकर भी नहीं हरा पाएं थे।
जिस दिन जयद्रथ रण में उतरे थे, उस दिन अर्जुन किसी अन्य राज्य के राजा से युद्ध करने के लिए गए हुए थे। ऐसे में अर्जुन की अनुपस्थिति में अभिमन्यु का वध करना कौरवों के लिए काफी ज्यादा आसान था।
जब अर्जुन युद्ध जीतकर लौटे तो यह पता चला कि अभिमन्यु नहीं रहे। यह पता चलने के बाद अर्जुन जयद्रथ के वध के लिए रात में कौरवों के शिविर पर हमला कर देते है। लेकिन, युद्ध के नियमों के चलते वे जयद्रथ का वध नहीं करते है।
अगले दिन रणभूमि में जयद्रथ नहीं आते है। इसके बावजूद अर्जुन यह प्रतिज्ञा लेते है कि अगर वह सूर्यास्त से पहले जयद्रथ को नहीं मार पाएं तो खुद अग्नि में भस्म समाधि ले लेंगे।
जब लंबे समय तक जयद्रथ युद्ध भूमि में नजर नहीं आते, तो श्रीकृष्ण अपने चक्र से सूर्य को ढक देते है। सूर्य के ढकते ही जयद्रथ शिविर से बाहर आ जाते है। जयद्रथ के आने पर तुरंत ही अर्जुन उनपर वार करके उनका वध कर देते है।