धार्मिक पुराणों में इस बात का उल्लेख मिलता है कि सुदामा श्री कृष्ण के अभिन्न मित्र थे। आइए जानते है किसने और क्यों सुदामा का वध किया था
श्री कृष्ण के परम मत्र सुदामा का आजीवन ख्याल स्वयं विष्णु जी के अवतार भगवान कृष्ण ने रखा था। मान्यता अनुसार, सुदामा का वध भगवान शिव ने किया था।
कथाओं के अनुसार, विराजा और सुदामा नाम के दो कृष्ण भक्त माता राधा और श्री कृष्ण के गोलोक धाम में रहते थे। सुदामा और विराजा दोनों ही श्री कृष्ण की भक्ति और सेवा में लीन रहते थे।
कन्हैया की भक्ति में चूर रहते हुए सुदामा को विराजा के प्रति प्रेम की अनुभूति हुई। विराजा पहले से ही श्रीकृष्ण के प्रेम में थी। ऐसे में सुदामा ने विराजा को अपने प्रेम के बारे में बताया।
विराजा ने श्री कृष्ण की भक्ति से समय बचने के बाद की शर्त के साथ सुदामा के प्रेम को स्वीकार कर लिया। दोनों ने श्री कृष्ण को यह बात बताने की सोची।
राधा रानी के अनुसार, गोलोक में कृष्ण प्रेम और कृष्ण भक्ति के अलावा अन्य किसी भावना का कोई स्थान नहीं था। मां राधा ने सारी सुदामा और विराजा की सारी बातें सुन ली थी।
मां राधा ने क्रोधित होकर विराजा और सुदामा को धरती पर पुन: जन्म लेने का श्राप दिया और विराज का जन्म ध्वज के घर में तुलसी और सुदामा का जन्म राक्षस कुल में हुआ।
राक्षस कुल में सुदामा का जन्म शंखचूंण के रूप में हुआ। तीनों लोकों में तबाही मचाने वाले शंखचूंण का विवाह तुलसी जी से हुआ था। तुलसी की सतीत्व की मर्यादा के चलते कोई भी शंखचूंण का वध नही कर पा रहा था। बाद में श्री कृष्ण की सहायता से शिव जी शंखचूंण का वध किया था।
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