जीवन में हर व्यक्ति कई पढ़ाव देखता है , बचपन से युवावस्था और फिर बुढ़ापे तक व्यक्ति काफी कुछ बदलाव महसूस करता है। आइए जानते है कमाते हुए भी अक्सर लोगों के सपने क्यों अधूरे रह जाते है?
मिडिल क्लास में पले-बड़े बच्चे अक्सर बचपन में यह सोचते है कि जब वह बड़े होंगे तो अपने सभी सपनों को पूरा करेंगे। लेकिन उम्र के साथ वो ख्वाब भी कम जरूरी लगने लगते है।
युवावस्था में व्यक्ति जब दूसरों को कुछ खरीदते देखता है तो वह भी यही सोचता है कि जब वह कमाना शुरु करेगा तो वह भी ऐसा कुछ करेगा। लेकिन वक्त, समय और परिस्थिति उसे ऐसा नहीं करने देती है।
जब एक व्यक्ति अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब में जाता है तो शुरू में वह अपने सभी ख्वाब पूरी करने की कोशिश करता है। लेकिन धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास करते हुए वह अपनी जरूरतें घटाने लगता है।
कमाना शुरु करने के बाद व्यक्ति को यह अहसास होता है कि जो उसकी कमाने से पहले की जरूरतें थी, वो इतनी जरूरी भी नहीं थी। ऐसे में वह अपने सपनों को अधूरा ही छोड़ने लगता है।
कुछ लोग ऐसे भी होते है जो सिर्फ खुद के लिए जीते है। लेकिन इस दुनिया में ज्यादातर व्यक्ति कमाना शुरू करने के बाद अपनों के सपनों के लिए ज्यादा सीरियस हो जाते है।
जब व्यक्ति पैसे कमाना शुरू करता है तो उसे पैसे का असली महत्व समझ में आता है। ट्रेन में एयर कंडीशन में सफर करने वाला सपना जल्द ही सामान्य बोगी में सफर करने में बदल जाता है।
जॉब करते हुए जब काफी समय बीत जाता है तो व्यक्ति की ख्वाहिशें भी धीरे-धीरे कम होने लगती है। इसकी असली वजह उसकी कल पर टालने की आदत भी होती है।
अक्सर कमाते हुए लोगों को इन्हीं वजहों से अपने सपने अधूरे छोड़ने पड़ते है, यह स्टोरी आपको पसंद आई तो ऐसी ही लाइफस्टाइल से जुड़ी तमाम खबरों को पढ़ने के लिए जुड़े रहें naidunia.com के साथ