साधु और संन्यासी क्यों हमेशा पहनते हैं भगवा? जानें


By Prakhar Pandey07, Apr 2024 05:07 PMnaidunia.com

भगवा रंग

भगवा रंग हिंदू धर्म में बेहद जरूरी माना गया है, इस रंग को साधु-संत धारण करते हैं। आइए जानते है साधु और सन्यासी क्यों हमेशा पहनते है भगवा?

केसरिया या भगवा

केसरिया या भगवा रंग के पीछे कई पौराणिक मान्यताएं जुड़ी है। अध्यात्म की बात करें तो हमेशा भगवा रंग को महत्व दिया जाता है।

शास्त्रों की कहानी

शिव जी द्वारा सतयुग में वर्णित अमर कथा नामक ग्रंथ का वर्णन है। इस ग्रंथ में आत्मा, योग और शरीर को लेकर बेहद गहरी बात बताई गई है।

माता पार्वती

जब माता पार्वती को भगवान शिव ने इस ग्रंथ के बारे में बताया तो उनके मन में भी त्याग की इच्छा उत्पन्न हुई। माता पार्वती नसें काट लीं और उनके कपड़े खून से रंग गए। इसे केसरिया रंग का महत्व माना गया है।

केसरिया रंग में भीगे वस्त्र

जब माता पार्वती गोरक्षनाथ धाम के पास प्रार्थना करने गई तब उन्होंने केसरिया रंग में भीगे वस्त्र दिए थे। उसी समय से लाल और केसरिया रंग के कपड़ो का धार्मिक महत्व माना जाने लगा था।

प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद का प्रथम मंत्र

ऋग्वेद का प्रथम मंत्र है ॐ अग्निमीले पुरोहितं यज्ञस्य देवमृत्विजम्। होतारं रत्नधातमम्।।, इस मंत्र का अर्थ है कि मैं अग्नि का सम्मान करता हूं, अग्नि के देवता, त्याग के महंत, ज्ञान के दाता

अग्नि के करीब

भगवा रंग को अग्नि के करीब माना गया है। केसरिया रंग भी अग्नि का प्रतीक है, इसलिए इस रंग को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।

इंद्रधनुष रंग

भगवा रंग हम 7 चक्रों से जोड़कर देखते है। शरीर में 7 चक्र होते हैं जो 7 मुख्य रंगों से जुड़े होते हैं। हर रंग को शरीर अलग हिसाब से देखता है। लाल चक्र को शरीर का सबसे मुख्य चक्र माना जाता है।

अगर आपको साधु-सन्यासी और भगवा रंग के महत्व से जुड़ी यह स्टोरी पसंद आई तो ऐसी ही धर्म और अध्यात्म से जुड़ी खबरों के लिए पढ़ते रहें naidunia.com

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