हिंदू धर्म में होली का त्योहार बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना गया है. जो कि एक सांस्कृतिक,धार्मिक और पारंपरिक त्योहार है।
होली का त्योहार हर साल मार्च के महीने में मनाया जाता है. इस दिन लोग गुजिया खाते है और एक दूसरे को गुलाल लगाते हैं.
रंगो का यह पर्व प्यार और एकता का प्रतीक है. जिसकी धूम ब्रज समेत पूरे देश में देखी जाती है.
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सदियों से होली मनाने की परंपरा के पीछे क्या रहस्य है?
हिन्दू धर्म के अनुसार होलिका दहन मुख्य रूप से भक्त प्रह्लाद की याद में किया जाता है। भक्त प्रह्लाद राक्षस कुल में जन्मे थे परन्तु वे भगवान नारायण के अनन्य भक्त थे।
उनके पिता हिरण्यकश्यप को उनकी ईश्वर भक्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद को अनेकों प्रकार के जघन्य कष्ट दिए.
प्रह्लाद की बुआ होलिका जिसको ऐसा वस्त्र वरदान में मिला हुआ था जिसको पहन कर आग में बैठने से उसे आग नहीं जला सकती थी।
होलिका भक्त प्रह्लाद को मारने के लिए वह वस्त्र पहनकर उन्हें गोद में लेकर आग में बैठ गई।
भक्त प्रह्लाद की विष्णु भक्ति के फलस्वरूप होलिका जल गई और प्रह्लाद का बाल भी बांका नहीं हुआ।