अक्सर मंदिरों में महिलाएं सिर पर पल्लू रखकर पूजा-पाठ करती है और यह एक प्राचीन परंपरा है। आइए जानते हैं कि पूजा-पाठ के समय सिर क्यों ढकते हैं-
पूजा-पाठ के समय सिर ढकने से नकारात्मक ऊर्जा से बचाव होता है और इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ऐसा माना जाता है कि पूजा-पाठ के समय सिर ढकने से मानसिक शांति मिलती है और इससे तनाव भी कम होता है। साथ ही, विचारों में विकास होता है।
धार्मिक स्थलों पर सिर ढकना यह दर्शाता है कि स्थान और भगवान के प्रति सम्मान प्रकट करता है। इससे मन भी एकाग्र रखता है।
अगर पूजा स्थल पर सिर खुला रहता है तो पूजा-सामग्री में बाल गिर सकता है, जिससे सामग्रियां अशुद हो जाती है। इससे भगवान नाराज होते हैं।
शास्त्रों के अनुसार सिर को ढकने से चंचल मन पर काबू होता है और इससे एक जगह पर ध्यान केंद्रित रहता है। इससे मन इधर उधर नहीं भटकता है।
महिलाएं बड़े बुजुर्गों के आने से सिर के ऊपर पल्लू रख लेती है और यह बड़े बुजुर्गों के प्रति सम्मान को दर्शाता है। साथ ही, यह परंपरा काफी समय से चली आ रही है।
इन कारणों से पूजा-पाठ के समय सिर ढकते हैं। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM