कुंभ मेले का हिंदू धर्म में विशेष महत्व होता है, लेकिन आपके मन में यह सवाल आता होगा कि आखिर इसे हर 12 साल में आयोजित करने के पीछे क्या वजह है? आइए जानते हैं, इस बारे में-
कुंभ मेले को हिंदू धर्म में सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन माना जाता है। इसे चारों तीर्थ स्थलों पर आयोजित होता है। साथ ही, इस मेले में नहाना शुभ माना जाता है।
ज्योतिषीय मान्यता के मुताबिक, बृहस्पति ग्रह को अपनी कक्षा का पूर्ण चक्कर लगाने में में 12 साल लगते हैं। इसलिए, कुंभ मेला 12 में लगाया जाता है।
देवताओं और राक्षसों के बीच अमृत को लेकर 12 दिनों तक लड़ाई चली थी। साथ ही, देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्षों के बराबर है। इसलिए, इसे 12 साल में आयोजित किया जाता है।
अर्धकुंभ मेला हर 6 साल में मानाया जाता है, जबकि महाकुंभ मेला हर 144 साल में एक बार मनाया जाता है।
चारों तीर्थस्थलों जैसे कि हरिद्वार, प्रयागराज,उज्जैन और नासिक पर कुंभ मेले का चक्र 12 वर्षों में पूरा होता है। इसलिए, इसे हर 3 तीन साल में किसी एक जगह इसका आयोजन किया जाता है।
माना जाता है कि कुंभ मेले में स्नान करने से जीवन के पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही, ग्रहों की स्थिति इस स्नान को और ज्यादा महत्वपूर्ण बनाती है।
2025 में कुंभ मेला 12 2025 जनवरी से शुरु होकर 26 फरवरी 2025 तक रहेगा। इस दौरान कुंभ में जा सकते हैं।
इसलिए कुंभ का मेला 12 साल बाद लगाया जाता है।यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए दी गई है, ऐसी और जानकारी के लिए पढ़ते रहें naidunia.com