आश्विन मास शुल्क पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो जाती है। लोग इसके लिए खास तैयारियां करते हैं।
शारदीय नवरात्रि आते समय दिन छोटा होने लगता है और मौसम में परिवर्तन होता है। सर्दी की शुरुआत भी इस पर्व के साथ हो जाती है।
ऋतु के परिवर्तन का प्रभाव जनों को प्रभावित न करे इसलिए प्राचीनकाल से ही इस दिन से नौ दिन उपवास का विधान होता है।
नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की आराधना की जाती है। लोग काफी भक्ति और लगन से माता की पूजा करते हैं।
साल में दो बार नवरात्रि रखने की परंपरा है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 9 दिन और इसी प्रकार आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नौ दिन।
साल में दो बार नवरात्रि रखने की परंपरा है। चैत्र मास में शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से 9 दिन और इसी प्रकार आश्विन मास, शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नौ दिन।
दोनों नवरात्रि में से शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इसमें विजयदशमी से एक दिन पूर्व तक माता रानी की आराधना होती है।
इस व्रत के दौरान उपवास करने वाले संतुलित और सात्विक भोजन करते हैं। इस व्रत के दौरान लहसून प्याज आदि खाना वर्जित होता है।
इस व्रत को करने से इंसान स्वास्थ्य सुख के साथ-साथ कई दुखों से मुक्त हो जाता है। साथ ही पुण्य की प्राप्ति भी होती है। /