हिंदू धर्म में कलावे को रक्षा सूत्र माना जाता है और इन्हें हाथ में तो बाधा जाता है, लेकिन पेड़-पौधे में लोग कलावे को बांधते हैं। आइए जानते हैं कि तांबे के लोटे में कलावा क्यों बांधा जाता है-
हिंदू धर्म में तांबे को लोटे को बहुत शुद्ध धातु माना गया है। इस लोटे का प्रयोग शिवलिंग पर जल चढ़ाने, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए प्रयोग करते हैं।
वहीं, दूसरी ओर घर में किसी प्रकार की पूजा होती है तो कलश स्थापना करते समय तांबे के लोटे का प्रयोग किया जाता है।
तांबे के लोटे में कलावा बांधना शुभ माना जाता है, लेकिन तांबे को जितना शुद्ध माना जाता है उतनी जल्दी यह अशुद्ध हो जाती है। इसकी शुद्धता बरकरार रखने के लिए कलावा बांधा जाता है।
ऐसा माना जाता है कि तांबे के लोटे पर कलावा बांधने से उस बर्तन में नवग्रहों का वास होता है। साथ ही, नौ ग्रहों की शुभता उस बर्तन में समाहित हो जाती है।
माना जाता है कि तांबे के लोटे पर कलावा बांधने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और इससे नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
ऐसा भी कहा जाता है कि तांबे के लोटे पर कलावा बंधा हुआ है तो उससे पूजा को बल मिलता है। साथ ही, पूजा में गलती से होने वाली चूक से दोष भी नहीं लगता है।
इन कारणों से तांबे के लोटे में कलावा बांधा जाता है। एस्ट्रो से जुड़ी ऐसी ही अन्य खबरों के लिए पढ़ते रहें NAIDUNIA.COM