द्रौपदी के चीर-हरण के समय क्या कर रहे थे कर्ण?


By Prakhar Pandey24, Jan 2024 01:09 PMnaidunia.com

द्रौपदी का चीर हरण

द्रौपदी के चीर हरण के समय सभा में कई ऐसे लोग मौजूद थे। जो द्रौपदी की लाज बचाने में सक्षम थे। आइए जानते है द्रौपदी के साथ हुए दुर्व्यवहार के समय कर्ण कहा थे?

द्वंद का खेल

द्रौपदी के चीर हरण की वजह सिर्फ दुर्योधन नहीं, बल्कि पांडव भी थे। दुर्योधन और युद्धिष्ठिर के बीच खेले गए द्वंद के खेल में अंत में युद्धिष्ठिर को अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगाना पड़ा था।

दुर्योधन की मित्रता

द्रौपदी के चीर हरण के समय कर्ण भी उसी सभा में उपस्थित थे, जहां भीष्म पितामह समेत अन्य बड़े धर्म के विद्वान बैठे थे। लेकिन, दुर्योधन की मित्रता के चलते वे द्रौपदी के साथ हुए अन्याय पर कुछ भी नहीं बोला था।

अपशब्द

द्रौपदी के साथ हुए अन्याय के खिलाफ बोलने के बजाय कर्ण ने द्रौपदी को एक वेश्या कहा था। महाभारत के अनुासर, कर्ण ने भरी सभा में द्रौपदी के लिए अपशब्द बोले थे।

पांच पति

कर्ण ने भरी सभा में कहा था कि ‘जो स्त्री पांच-पांच पतियों के साथ संबंध रखती हो वह एक वेश्या ही हो सकती है’। कर्ण ने दुर्योधन के गलत कामों में उसका साथ दिया था।

कर्ण और द्रौपदी

द्रौपदी ने अपने स्वंयवर के दौरान कर्ण को सूत पुत्र कहकर अपमानित किया था। साथ ही, जब कर्ण अपने मित्र दुर्योधन के साथ इंद्रप्रस्थ में युद्धिष्ठिर के राज्याभिषेक के लिए गए थे। तब भी उन्हें अपमान सहना पड़ा था।

समय का चक्र

कर्ण को अपने कर्मों की फल मिलना ही था। महाभारत में कुरुक्षेत्र की भूमि में कर्ण को हरा पाना किसी भी योद्धा के लिए आसान नहीं था।

कर्मों का फल

कर्ण और अर्जुन दोनों ही सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे। लेकिन, कर्ण को अपने कर्मों के चलते युद्ध में अर्जुन के हाथों मृत्यु दंड मिला था।

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