गणेश चतुर्थी का पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस दौरान लोग भगवान गणेश की पूजा के जरिए उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं।
हिंदू धर्म में मान्यता है कि कोई भी शुभ कार्य शुरू करने से पहले गणेश जी की पूजा होगी। ऐसा करना अनिवार्य माना जाता है।
गणपति बप्पा की पूजा के कुछ नियम भी होते हैं। इनका पालन करना बेहद जरूरी होता है। अगर ऐसा नहीं किया जाता है तो गणेश जी नाराज हो सकते हैं।
भगवान गणेश की पूजा करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि तुलसी के पत्ते उन्हें अर्पित न करें। ग्रंथों के मुताबिक, इस बात का पालन करना बेहद जरूरी होता है।
पौराणिक कथा में उल्लेख है कि एक बार भगवान गणेश गंगा तट पर तपस्या कर रहे थे। उस दौरान तुलसी वहां पर पहुंची थींं।
कथा में जिक्र है कि तुलसी भगवान गणेश को देखकर मोहित है गईं। इसके बाद उन्होंने गणेश जी से विवाह करने की इच्छा जताई।
तुलसी ने विवाह करने की इच्छा जताते हुए भगवान गणेश की तपस्या भंग कर दी। इस वजह से गणेश जी ने क्रोधित होकर तुलसी को श्राप दे दिया कि तुम्हारी एक नहीं दो शादियां होंगी।
तुलसी ने भगवान से श्राप मुक्त करने की प्रार्थना की। गणेश जी ने कहा कि कलयुग में तुम संसार के लिए मोक्ष प्रदायिनी के तौर पर जानी जाओगी। हालांकि, मेरी पूजा में तुलसी को चढ़ाना शुभ नहीं होगा।