सावन मास की तृतीया तिथि को श्रावणी तीज भी कहा जाता है और सावन माह की पंचमी तिथि को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है।
श्रावणी तीज पर महिलाएं 16 श्रृंगार करके माता पार्वती और भोलेनाथ की पूजा करती हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करती है।
भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से साथ घी, चीनी और आटे से बना प्रसाद भी चढ़ाया जाता है। ऐसे करने से सभी परेशानियां दूर हो जाती है।
धार्मिक मान्यता है कि सावन मास में मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा करने से आर्थिक परेशानियां भी दूर हो जाती है।
पौराणिक मान्यताओं है कि श्रावणी तीज और पंचमी के दिन मिट्टी से बने शिवलिंग की पूजा करने से व्यक्ति पर भगवान शंकर की कृपा सदैव बनी रहती है।
मिट्टी को सबसे पहले साफ करना चाहिए और उसके बाद पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजा करना चाहिए। रात्रि में जागकर शिव-पार्वती पूजन करना चाहिए।