मोबाइल, लैपटाप की बजाए पूजन में लगा रहे ध्यान, कोई नंगे पाव चलता है तो कोई कर रहा एक वक्त भोजन।
एक-दो दिन थोड़ा अटपटा लगता है लेकिन बाद में सामान्य हो जाता है। आस्था देखकर साथी भी प्रेरित होते हैं।
दिन की शुरुआत पूजन के साथ होती है। घर में पूजा करने के बाद घर के नजदीक मंदिर जरूर जा रहे हैं।
उपवास के बाद किसी तरह की कमजोरी नहीं महसूस होती है। पूजा करने में आनंद अनुभव कर रहे हैं।
सुबह जल्द उठकर पूजन, ध्यान के मंदिर में आकर पूजन करने में शांति और सुकून का अहसास होता है।
सात्विक भोजन और दिनचर्या रहती है। मंदिर में हाजिरी लगाने से सकारात्मक उर्जा का अनुभव होता है।
विशेष दिन को बाल नहीं कटवाते हैं। दिनचर्या में मंदिर जाना, कुछ अतिरिक्त समय सेवा करना शामिल है।
मंदिरों में भजन सुनकर दिल प्रसन्न हो जाता है। पूजन करने से मन और आत्मा दोनों शुद्ध हो जाते हैं।
आज का युवा किसी भी कार्य को करने के लिए दृृृढ़ निश्चयी और संकल्पित है। चाहे शिक्षा, व्यापार या रोजगार के क्षेत्र।
व्रत व पूजन करने से अदभुत ऊर्जा का संचार रहता है। सकारात्मक कार्यों के प्रति अधिक मन लगा रहे हैं।
भजन में ही ज्यादातर समय गुजार रहे हैं। मोबाइल का उपयोग न के बराबर। इंटरनेट पर ध्यान,पूजन ही देख रहे हैं।
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